Introduction
सर्दी और जुकाम एक आम समस्या है जो विभिन्न आयु समूह को प्रभावित कर सकती है, और यह शिशुओं के लिए अधिक संक्रामक हो सकती है। साल के बच्चों में सर्दी और जुकाम का इलाज उनके संक्रामकता की कमजोरी के कारण अधिक मुश्किल हो सकता है। इस लेख में, हम शैशविक आयु के बच्चों के लिए कुछ प्रमुख घरेलू उपचार की चर्चा करेंगे जो इस समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
घरेलू उपचार
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सुखी गर्मी और अधिक पानी: बच्चे को सकारात्मक गर्मी में रखना जरूरी है। घर में इंधन जलाने से भी उद्धेश्य बच्चे के कमरे की गर्मी बनाए रखना चाहिए। हाँलांकि, बच्चों को अधिक पानी पिलाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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नाक सुखाना: शिशु की नाक को साफ करने के लिए, उसका मुंहा के नजदीक लाकर नाक सुखाना महत्वपूर्ण है। इससे बच्चे की साँसें भी स्वस्थ रहती हैं।
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गर्म भाप देना: शिशु को सुगंधित गर्म पानी के धुंए को सांस लेने देना शरीर के अंदर की कीटाणुओं को नीचे भेज सकता है और सांस को साफ कर सकता है।
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अदरक और मधु: अदरक और मधु के मिश्रण का सेवन शिशु की सुरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान कर सकता है और उसे सर्दी और जुकाम से राहत दिला सकता है।
और उसके अतिरिक्त…
अभिगमन
इस तरह से, शैशविक साल के शिशु को सर्दी और जुकाम के घरेलू उपचार करने के कई तरीके हैं जो इन समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यदि बच्चे की स्थिति गंभीर है या उसकी हालत बिगड़ रही है, तो उसे चिकित्सक से परामर्श लेना अनिवार्य है।
FAQs
- क्या 1 साल के बच्चे को दवा देना सुरक्षित है?
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हां, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है।
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क्या शिशु को दूध पिलाना चाहिए जब वह सर्दी जुकाम से पीड़ित हो?
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हां, दूध पिलाने से उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो सकती है।
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क्या बच्चे को बाथरूम में गर्म पानी से नहलाना उपयुक्त है?
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हां, गर्म पानी से नहलाना बच्चे को सुखी जुकाम में राहत दिला सकता है।
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क्या शिशु को रात को वापसी सुसु देनी चाहिए?
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हां, गर्मियों में बच्चे को रात को वापसी सुसु देना भी उपयुक्त है।
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क्या हमें शिशु के लिए दवा बाजार से खरीदनी चाहिए या डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए?
- हमेशा उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह लेना अच्छा है।
समापन
इस लेख में हमने देखा कि सर्दी और जुकाम एक आम समस्या है जो शैशविक साल के बच्चों को प्रभावित कर सकती है। समय रहते उपचार करने और शिशु को सही देखभाल देने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है। उपरोक्त उपचार विधियों का पालन करना शिशु के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है और उसकी हालत में सुधार कर सकता है।